Monday, 11 November 2013

bhagwan hum banaatey hain

एक  अदृश्य  सत्ता के सामने हम  नत  मस्तक है  हर धर्म मानता है कि कोई शक्ति है  जो कण कण  मैं  व्याप्त है  हिन्दू धर्म मैं हम उस सत्ता को भगवान  कहते हैं  क्या भगवान  है  प्रश्न उठता है हमारा अस्तित्व भगवन  से है  या भगवान् का आस्तित्व  है  भगवान है यह हमने कहा है  भगवान्  ने तो कभी आकर नहीं कहा कि वह है  इसलिए भगवान्  के निर्माता हम हैं  और इसीलिए हम रोज एक भगवान् का निर्माण कर रहे हैं  कभी वो भगवान् हमें  जेल  के अंदर मिलता है  कभी कलकत्ते मैं ढूढ़ने  जाते  हैं पता लगता है वह कहीं मैदान मैं है  और अगर कभी जरा कम देर के लिए मैदान मैं टिकता है  तो हम तुरंत भगवान् के पद से उतार देते हैं   कुर्सी खिसकाने मैं हम  माहिर हैं। हिन्दू धर्म के भगवान् अगर अजन्मे हैं तो  अमर भी हैं  एक भगवान् चन्द्रमा कि कलाओं के  साथ आये मस्त मस्त आश्रम बनवाये  लेकिन  अब इस दुनिया को छोड़ गए प्रवचन  मिल जायेंगे  एक भगवान् पुट्टपर्थी मैं थे  कहा जाता था कि उनकी उम्र किसी को नहीं मालुम लेकिन हमारे देखते देखते वो  बूढ़े हुए और मर गए  छोड़ गए अरबों रुपये लूटते  सेवकों को  भगवान् निर्लिप्त है तभी सोने पर सोता है  एक लम्बी सूची  है भगवानों कि  हिन्दू धर्म मैं वैसे  भी ३३ करोड़  देवी देवता हैं अपने अपने भगवान्  अलग अलग  धर्म के अलग भगवान्  इस हिसाब से औसत प्रति दो व्यक्ति एक भगवान् है  तो रोज हम भगवान् बनाते हैं नए भगवान् का निर्माण करते हैं  फिर उसका कुछ दिन बाद नाम मिटा देते हैं।  अजर अमर अनादि अनन्त के आस्तित्व का  एक अदना सा आदमी निर्माता है।

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