Tuesday, 30 April 2013

jugad

जुगाड़ है जिंदगी
गरीबी  की आड़ है जिंदगी
कर कर कर मर जाओ
मरना भी जुगाड़  है जिंदगी .

आवश्यकता आविष्कार  की जननी है ,यह निश्चित है और आविष्कार का दूसरा नाम है जुगाड़ .जो आजकल  सडकों पर तो दौड़ ही रहा है असल जिंदगी मैं भी दौड़  रहा है यह भी किसी ने रोजी रोटी का जुगाड़ किया  किसी के पहिये  किसी की बॉडी और ठोक  दिए तख्ते  और चल दी सवारी भर कर गाडी .पिन भी तो जुगाड़ है  बटन टूट गया  तार जोड़ कर फटे को  सीने का जुगाड़ कर लिया  हो गई व्यवस्था .ऐसे  ही करते जाओ  जुगाड़ गरीब की  जिंदगी  तो जुगाड़ ही है  दो रोटी का जुगाड़ करने के लिए बच्चे  हर चौराहे पर  देवी देवता  की तस्वीर  रखकर  अपने आकाओं  की शराब और एश की जुगाड़ करते हैं उन्हें तो धुप मैं ताप मैं गंदे कपडे पहन कर बिना नहाए हुए  पवित्र देवता की तस्वीर  घुमानी है  वहीँ नाली के पास उसे रख देते है जहाँ  उनकी पवित्रता का इतना ख्याल रखा जाता है की मंदिर मैं भी हर कोई नहीं घुस सकता वहां  देवी देवता की अवमानना का ख्यालकिसी को भी नहीं आता कि इस को बंद करा दे .पर बात जुगाड़ की हो रहो थी जिनकी ऊपर पहुँच है वो  सरकारी योजनाओं पर हाथ साफ़ करते है यानि अपनी जुगाड़ फिट करते है बेकार लड़के जो यहाँ तादाद मैं हैं अपनी प्रेमिकाओं को पटाने  के लिए पाकेटमारी चेन तोड़ना करतें है  प्रेमिका पटती कम बेवकूफ बना कर  अपना जेब खर्च चलाने का जुगाड़ करती है .कोई बैंकों से से सरकारी रूपया क्योंकि सरकार का माल तो अपना माल पहले लोन  लेता है फिर जुगाड़ बिठा माफ़ करा लेता है  और भी न जाने कितनी जुगाड़ है ये जिंदगी जुगाड़ है ठोक ठोक  कर बनायी हुई .  

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