श्रद्धेय नीरज जी से खेद सहित -
मानव होना पाप है गरीब होना अभिशाप
बन्दर होना भाग्य है चिम्पांजी होना सौभाग्य .
एक टीवी ऐड मैं चिम्पेंजी को च्यवनप्राश खिलाया जाता देख कर तो यही लगता है .वेसे श्री राम जी दूरदर्शी थे उन्हें मालूम था एक बार आदमी फिर बन्दर बनेगा फिर चिम्पेंजी वाही उसका लक्ष्य होगा कम से कम च्यवनप्राश तो खाने को मिलेगा .आदमी को तो सूखी रोटी नसीब नहीं है कुछ दिन मैं तो महाराणा प्रताप की तरह घास पर ही जिन्दा रहेगा बहुत हुआ तो इधर उधर उगे जंगली फल ही खा लेगा .न लकड़ी न बिजली न कोयल न तेल काये पर पकाए क्या खाए सत्ताईस रुपये मैं एश करनेवाला परिवार परिवार एक आदमी के कमाने से तो चलनेवाला है नहीं उसे खाने की तेयारी के लिए वसे ही एक क्रिकेट टीम चाहिए एक जायेगा घास कूड़ा लकड़ी बीनने एक जायेगा राशन की दूकान पर चक्कर लगाने उसका भाग्य चेत तो खुला मिल जायेगा फिर किलो मैं सातसो गेहूं लायेगा दूसरा दूसरी जगह आटा लेने जायेगा एक जन एक बार मैं ढाई सौ ग्राम खा लेता है तीन ने खाया चौथा भूखा रहा गया अब हिसाब लगाओ बीस रुपये का आटा हो गया नमक तेल लगाया तो दस रुपये का हो गया जलावन लाना ही पड़ेगा किसी से लगा कर तो खायेगा बेचारा अब बूढ़े मां बाप वे कहाँ जाये अब सोचती हूँ कपडे कहाँ से लायेगा बच्चों को कहाँ से खिलायेगा साबुन तेल अरे बाप रे ये क्या खर्चे तो सुरसा के मुख की तरह बढ़ते जा रहे हैं बीपीएल कार्ड तो अमीरों के लिए बनता है क्योंकि गरीब के पास पैसा खिलने के लिए है ही नहीं जहाँ मरने की सनद के लिए पैसे देने पदेन की हाँ मर गया है हाँ अमीरों के लिए जिन्दा रहेगा क्योंकि उसके जिन्दा रहने पर ही तो उसकी पेंशन खायेंगे मरेगा कैसे उसे मरना है पर किताबों मैं जिन्दा रहना है
मानव होना पाप है गरीब होना अभिशाप
बन्दर होना भाग्य है चिम्पांजी होना सौभाग्य .
एक टीवी ऐड मैं चिम्पेंजी को च्यवनप्राश खिलाया जाता देख कर तो यही लगता है .वेसे श्री राम जी दूरदर्शी थे उन्हें मालूम था एक बार आदमी फिर बन्दर बनेगा फिर चिम्पेंजी वाही उसका लक्ष्य होगा कम से कम च्यवनप्राश तो खाने को मिलेगा .आदमी को तो सूखी रोटी नसीब नहीं है कुछ दिन मैं तो महाराणा प्रताप की तरह घास पर ही जिन्दा रहेगा बहुत हुआ तो इधर उधर उगे जंगली फल ही खा लेगा .न लकड़ी न बिजली न कोयल न तेल काये पर पकाए क्या खाए सत्ताईस रुपये मैं एश करनेवाला परिवार परिवार एक आदमी के कमाने से तो चलनेवाला है नहीं उसे खाने की तेयारी के लिए वसे ही एक क्रिकेट टीम चाहिए एक जायेगा घास कूड़ा लकड़ी बीनने एक जायेगा राशन की दूकान पर चक्कर लगाने उसका भाग्य चेत तो खुला मिल जायेगा फिर किलो मैं सातसो गेहूं लायेगा दूसरा दूसरी जगह आटा लेने जायेगा एक जन एक बार मैं ढाई सौ ग्राम खा लेता है तीन ने खाया चौथा भूखा रहा गया अब हिसाब लगाओ बीस रुपये का आटा हो गया नमक तेल लगाया तो दस रुपये का हो गया जलावन लाना ही पड़ेगा किसी से लगा कर तो खायेगा बेचारा अब बूढ़े मां बाप वे कहाँ जाये अब सोचती हूँ कपडे कहाँ से लायेगा बच्चों को कहाँ से खिलायेगा साबुन तेल अरे बाप रे ये क्या खर्चे तो सुरसा के मुख की तरह बढ़ते जा रहे हैं बीपीएल कार्ड तो अमीरों के लिए बनता है क्योंकि गरीब के पास पैसा खिलने के लिए है ही नहीं जहाँ मरने की सनद के लिए पैसे देने पदेन की हाँ मर गया है हाँ अमीरों के लिए जिन्दा रहेगा क्योंकि उसके जिन्दा रहने पर ही तो उसकी पेंशन खायेंगे मरेगा कैसे उसे मरना है पर किताबों मैं जिन्दा रहना है
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