बड़ी बड़ी बहसे चलती हैं .अखबारों मैं स्त्री सुरक्षा पर सवाल उठाये जाते हैं सैल खुलती हैं सेनाएं बनती हैं आयोग बनते हैं और नेता संत प्रवचन देते हैं कि महिलाओं को यह करना चाहिए वह करना चाहिए उन्हे रात मैं नहीं निकलना चाहिए उन्हे घर से निकलना ही नहीं चाहिए तो कोई बुरका पहना रहा है लेकिन दिन भर महिलाएं शिकार होती छोटी बच्चियां ,परन्तु महिलओं को सुरक्षा किससे चाहिए जबाव चाहिए की महिलाओं को सुरक्षा किस से चाहिए बड़ा बड़ा प्रश्न चिन्ह है कि महिलाओं को सुरक्षा किससे चाहिए तो जबाव भी है कि पुरुष से तो दोषी कौन है पुरुष और सजा भुगते औरते क्यों नहीं पुरुष अपना आचरण सभालते आवष्यकता उन्हे ठीक होने की है
No comments:
Post a Comment