Thursday, 4 February 2016

Andar ki bbat

 दिल की अपनी आवाज होती है  , जुबान जो कुछ भी कहती है कहती रहे  अंदर की आवाज उसमेँ  आ ही जाती है।  ध्वनि विस्तार ,ध्वन्यात्मकता ,गूँज, अनुगूंज, कुछ भी नाम देलो ,जिसे कहते हैं मन की बात जुवा पर आना  पिता श्री कहते हैं एक साथ चार व्यक्ति बलात्कार कर ही नहीं सकते पर क्या होता है अगर जरा सा भी समझदार होगा  ऐसी बात नहीं करेगा औरत जाट जिसमे  छोटी बच्ची भी  शामिल है  मर्द के लिए मॉस की गुड़िया है  न उसे तकलीफ होती है न दर्द यूज़  एंड  थ्रो  जिसने प्यार से पला अपने  जीवन का लक्ष्य बनाया  बेकार वह मात्र एक खिलौना खेलो तोड़ो फेंको जिस खेल के लिए वहशी हो जाते हैं एक बार आईने मैं अपनी बेटी का चेहरा लगाले कसम है किसी  को हाथ लगाना भी भूल जायेंगे।
ध्वन्यात्मकता तो पुत्र की बात मैं भी झलकती है  कि पुलिस अच्छा काम कर रही है  तभी तो जेल  कटनी पड़ी पुलिस अच्छा  काम भी  करती  है यह भी खबर है जैसे कहा जाता है ईमानदारी जीवित है यह वैसे ही यदि  पोलिस  कोई अच्छा काम करती है तो वह खबर है  अर्थात पुलिस अच्छा करने के लिए नहीं बनी कभी कभी  गलती हो जाती है इसलिए उनसे अच्छा   जाता है यह भी तो हो  उस अपराधी से सेटिंग नहीं हो पाई इसलिए पकड़वा दिया या जेल की ही सेटिंग हो  इससे ध्वनि निकलती है कि बुरे काम करने के लिए अपराधियों का सहयोग करने के लिए हम इतने पुलिस वालों की नियुक्ति करते हैं 

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