अमिताभ वच्चन का ट्वीट पढ़ा " सूंघ कर कोई मसल डाले यह है गुल की जीस्त (जीवन)
मौत उसके वास्ते टहनी पर मुरझाने मैं हैं "
मेरी समझ मैं नहीं आया इसके द्वारा श्री श्री श्री महान~ क्या कहना चाहते हैं म्रेरी समझदानी बहुत छोटी है पर समझ नहीं आया क्या फूल की यही नियति है पल भर के उन्मादियों को खूशबू देकर कुचल जाये उसे पूर्ण रूप से महकते हुए पूरा जीवन जीने का अधिकार नहीं है अ पुरुष गरिमा का ढोंग कितना भी कर ले पर अंदर की विकृत मानसिकता निकल ही पड़ती है इन पंक्तियों के माध्यम से क्या तो लिखनेवाला कह रहा है और क्या समझने का प्रयास किया जा रहा है मेरे तो गले नहीं उतरीं आप सब को अच्छी लगीं क्या?
मौत उसके वास्ते टहनी पर मुरझाने मैं हैं "
मेरी समझ मैं नहीं आया इसके द्वारा श्री श्री श्री महान~ क्या कहना चाहते हैं म्रेरी समझदानी बहुत छोटी है पर समझ नहीं आया क्या फूल की यही नियति है पल भर के उन्मादियों को खूशबू देकर कुचल जाये उसे पूर्ण रूप से महकते हुए पूरा जीवन जीने का अधिकार नहीं है अ पुरुष गरिमा का ढोंग कितना भी कर ले पर अंदर की विकृत मानसिकता निकल ही पड़ती है इन पंक्तियों के माध्यम से क्या तो लिखनेवाला कह रहा है और क्या समझने का प्रयास किया जा रहा है मेरे तो गले नहीं उतरीं आप सब को अच्छी लगीं क्या?
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