ईर्ष्या भय और अहंकार क्रोध के मुख्य कारण हैं इसके अलावा कोई व्यक्ति तब क्रोधित होता है जब कोई काम उसकी इच्छा के विरुद्ध होता है । अतृप्त व असंतुष्ट लोग भी क्रोध की गिरफ्त मैं बहुत जल्दी और आसानी से आ जाते हैं .,और क्रोध मैं आकर अपना अनिष्ट कर बैठते हैं .
क्रोध को जीतने मैं मौन सबसे अधिक सहायक है
स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा हुआ यह वाक्य कि मौन क्रोध की चिकित्सा है क्रोध पर विजय प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है अत: आपको जब भी क्रोध आये तो चुप्पी साध लें हालांकि यह काम आसान नहीं किन्तु चुप्पी क्रोध को शांत करने का सबसे प्रभावी व् शक्तिशाली समाधान है .
जब आप क्रोध में हों तो दस और अति क्रोध मैं हों तो सौ तक गिनती गिने -नेफ्र्सन
क्रोध को जीतने मैं मौन सबसे अधिक सहायक है
स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा हुआ यह वाक्य कि मौन क्रोध की चिकित्सा है क्रोध पर विजय प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है अत: आपको जब भी क्रोध आये तो चुप्पी साध लें हालांकि यह काम आसान नहीं किन्तु चुप्पी क्रोध को शांत करने का सबसे प्रभावी व् शक्तिशाली समाधान है .
जब आप क्रोध में हों तो दस और अति क्रोध मैं हों तो सौ तक गिनती गिने -नेफ्र्सन
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